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Comments (9)

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25 Mar 2022 07:57 PM

बहुत उम्दा।

25 Mar 2022 08:06 PM

हृदय से आभार

बहुत सुंदर रचना

25 Mar 2022 08:06 PM

धन्यवाद हेमंत जी

बहुत खूब ! हमेशा पत्नियों पर ही लिखोगे या कभी हठीले पतियों पर भी कुछ फरमाओ भाई साहब !

25 Mar 2022 12:06 PM

अब आपने आदेश दिया है तो अब हठीले पतियो पर भी लिख देते है। वैसे पतियों पर भी लिख चुका हूं। जैसे ,
तुम सारे दिन सोते रहते हो,कुंभकर्ण की तरह प्रिय,
मै सारे दिन घर का काम करती हू,फिर भी न थकती प्रिय।

जय हो कविराज दोनों दिखते बहुत सरल हैं लेकिन हाथ नहीं आते.

25 Mar 2022 11:59 AM

आपने भी सही फरमाया।इन दोनो से भगवान ही बचाए।

25 Mar 2022 09:43 AM

ये आजकल के जीवन की वास्तविकता है।आप इस पर क्या कहना चाहेंगे।

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