Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (3)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

।रंग चढे़ जब प्रेम का, चढे़ न कोई रंग।
जो चढ़ जाऐ दूसरा,समझ स्वार्थ के संग।
अब ठीक है
डां.अखिलेश बघेल
दतिया (म.प्र.)

16 Aug 2022 05:43 AM

जी बहुत बहुत शुक्रिया एवं आभार 🙏🙏

16 Aug 2022 05:50 AM

आपके ऐसे ही मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद की आवश्यकता है मुझे जिससे मैं कुछ सीख सकूं अभी मन में जो भी आता है लिख देता हूं तुकबंदी नहीं आती अगर आपका ऐसा ही आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन बना रहे तो जीवनपर्यंत आपका आभारी रहूंगा । 🙏🙏

Loading...