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25 Sep 2021 11:26 AM
ग़ज़ल // तीर-ओ-तलवार से नहीं होता / काम हथियार से नहीं होता / घाव भरता है धीरे धीरे ही / कुछ भी रफ़्तार से नहीं होता / खेल में भावना है ज़िंदा तो / फ़र्क़ कुछ हार से नहीं होता / सिर्फ़ नुक़सान होता है यारो / लाभ तकरार से नहीं होता / उस पे कल रोटियाँ लपेटे सब / कुछ भी अख़बार से नहीं होता
Bahut khoob
Shukiya Sir Ji