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ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’ /
दोहा जब कहने लगूँ, मुझमे संत ‘कबीर’ /
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महंगी रोटी-दाल है, मुखिया तुझे सलाम /
पूछे कौन ग़रीब को, इज्ज़त भी नीलाम /
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सबका खेवनहार है, एक वही मल्लाह /
हिंदी में भगवान है, अरबी में अल्लाह /
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दीवाने-ग़ालिब पढो, महावीर यूँ आप /
उर्दू-अरबी-फारसी, हिन्दी करे मिलाप /
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पढ़ा-लिखा इन्सान ही, लिखता है तकदीर /
अनपढ़ यहाँ दुखी रहा, कहे कवि महावीर /
// .6 //
भाषा के सम्मान से, मुल्कों का सम्मान /
भाषा की पहचान ही, मुल्कों की पहचान /
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सब कहें उत्तरांचली, ‘महावीर’ है नाम /
अदबी ख़िदमत मैं करूँ, मेरा है यह काम /
// .8 //
होता आया है यही, अचरज की क्या बात /
सच की ख़ातिर आज भी, ज़हर पिए सुकरात /
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