जब तक शिक्षा में किताबी ज्ञान की अपेक्षा व्यावहारिक ज्ञान का समावेश नही किया जाता एवं शिक्षा का उद्देश्य डिग्रियाँ प्राप्त कर ऊँची नौकरी का साधन मात्र के अलावा शिक्षार्थी के व्यवहार एवं सोच में सकरात्मक बदलाव हेतु प्रयास नही किया जाता ,जिसमें शिक्षार्थी की प्रतिबद्धता भी आवश्यक है। तब तक सकारात्मक दिशा में ज्ञान के प्रसार व प्रचार में शिक्षा का महत्व एक परिकल्पना बनकर रह जाएगा।
जब तक शिक्षा में किताबी ज्ञान की अपेक्षा व्यावहारिक ज्ञान का समावेश नही किया जाता एवं शिक्षा का उद्देश्य डिग्रियाँ प्राप्त कर ऊँची नौकरी का साधन मात्र के अलावा शिक्षार्थी के व्यवहार एवं सोच में सकरात्मक बदलाव हेतु प्रयास नही किया जाता ,जिसमें शिक्षार्थी की प्रतिबद्धता भी आवश्यक है। तब तक सकारात्मक दिशा में ज्ञान के प्रसार व प्रचार में शिक्षा का महत्व एक परिकल्पना बनकर रह जाएगा।
धन्यवाद !