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11 Feb 2022 06:48 PM

संस्कार ,शिष्टाचार , नैतिक मूल्यों और साक्षात देवतुल्य माता – पिता की महिमा के शुभगान से सीख देती एक समाजोत्थानक कविता जो आज के सामाजिक सरोकारों से सीधा सम्बद्ध होकर हमारी सोच को शुद्धता प्रदान करती है।
सादर आभार आदरणीय रस्तोगी साहब , सहस्रों साधुवाद ।

11 Feb 2022 11:46 PM

श्री त्रिपाठी जी बहुत बहुत धन्यवाद

11 Feb 2022 01:25 PM

कृपया इस मातृ पितृ दिवस की रचना पर अपनी प्रतिक्रिया देने की कृपा करे।

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