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हमें किसी भी तरह का वह शब्द इस्तेमाल नही करना चाहिए जो साहित्य सृजन की श्रेणी में नहीं आता हो। क्योंकि शब्दों से पता चलता है कि हमारी मानसिकता कैसी है।
आपकी नज़र में भजन-कीर्तन ही साहित्य है शायद!
ज़िंदा शायरी ऐसी ही होती है!
हमें किसी भी तरह का वह शब्द इस्तेमाल नही करना चाहिए जो साहित्य सृजन की श्रेणी में नहीं आता हो। क्योंकि शब्दों से पता चलता है कि हमारी मानसिकता कैसी है।
आपकी नज़र में भजन-कीर्तन ही साहित्य है शायद!
ज़िंदा शायरी ऐसी ही होती है!