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अच्छा प्रयास है।
त्रुटि सुधारें “शबब ” के स्थान “सबब”
आपकी प्रस्तुति को मैंने अपने शब्दों में प्रस्तुत किया है :
तुम्हारे वजूद से है मेरी ज़िंदगी है ,
तुम्हारा साथ अब मेरा गुमान है,
मुझे मेरे रिश्ते की रुसवाई का खौफ़ नहीं,
तस्लीम- ए -‘इश्क पर ज़माने का ज़ोर नही ,
श़ुक्रिया !

27 Jan 2022 09:19 AM

शुक्रिया गुरु जी।

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