महान संगीत शिरोमणि स्वर्गीय गुलाम मुस्तफा खान के सानिध्य संस्मरण की प्रस्तुति पढ़कर प्रसन्नता की अनुभूति हुई। शास्त्रीय संगीत से मेरा लगाव बचपन से ही रहा है ।मेरी माता ने शास्त्रीय संगीत की दीक्षा ली थी और एक कुशल गायिका, सितार , सरोद , वायलिन एवं वीणा बजाने में पारंगत थीं। मेरे सबसे बड़े भाई सितार कलाकार हैं। संगीत के माहौल में मेरी परवरिश होने से शास्त्रीय संगीत के कलाकारों के प्रति मेरी अगाध श्रृद्धा है। क्योंकि शास्त्रीय संगीत की साधना एक घोर तप है , जिसमें एक कलाकार पूर्ण समर्पित भाव से कला की ऊंचाइयों को छूता है।
धन्यवाद !?
महान संगीत शिरोमणि स्वर्गीय गुलाम मुस्तफा खान के सानिध्य संस्मरण की प्रस्तुति पढ़कर प्रसन्नता की अनुभूति हुई। शास्त्रीय संगीत से मेरा लगाव बचपन से ही रहा है ।मेरी माता ने शास्त्रीय संगीत की दीक्षा ली थी और एक कुशल गायिका, सितार , सरोद , वायलिन एवं वीणा बजाने में पारंगत थीं। मेरे सबसे बड़े भाई सितार कलाकार हैं। संगीत के माहौल में मेरी परवरिश होने से शास्त्रीय संगीत के कलाकारों के प्रति मेरी अगाध श्रृद्धा है। क्योंकि शास्त्रीय संगीत की साधना एक घोर तप है , जिसमें एक कलाकार पूर्ण समर्पित भाव से कला की ऊंचाइयों को छूता है।
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