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उत्तम सृजन, क्रमशः पंक्तियां प्रेषित है… रोम रोम थिरक कर जाग उठा , ऐसा पहले तो कभी नही हुआ था। गर्म सांसों में घुली सांसे ऐसी, जैसे मेरा चेहरा चूमता धुआं था।
उत्तम रचना
उत्तम सृजन,
क्रमशः पंक्तियां प्रेषित है…
रोम रोम थिरक कर जाग उठा ,
ऐसा पहले तो कभी नही हुआ था।
गर्म सांसों में घुली सांसे ऐसी,
जैसे मेरा चेहरा चूमता धुआं था।
उत्तम रचना