Comments (6)
4 Jan 2022 12:42 PM
The exact sarcastic satire on the activities of Hon’ble ji is being reflected in this composition.
Taj Mohammad
Author
4 Jan 2022 04:17 PM
Thank you so much sir.
4 Jan 2022 10:50 AM
दबा के कब्र में सब चल दिए ना दुआ ना सलाम,
जरा सी देर में क्या हो गया ज़माने को ,
यही ज़िंदगी का दस्तूर है , यही मौत की हकीकत है ,
श़ुक्रिया !
Taj Mohammad
Author
4 Jan 2022 04:16 PM
बहुत खूब
बहुत खूब
शुक्रिया जी