Comments (4)
3 Jan 2022 09:35 PM
सुपर सृजन।
Komal Swami
Author
3 Jan 2022 09:37 PM
Thanku sir
दहकती आग की ज्वाला हू मैं
बहते पानी की धारा हूं मैं
तपती धूप की रोशनी हूं मैं
गहरे पेड़ की छाया हूं मैं
कोमल जी कोमल मन के भाव बहुत ही सुन्दर सारगर्भित परिपेक्ष्य में आपने उल्लेखित किए
आपका स्वागत है – ऐसी लेखनी को प्रणाम =
एक अबोध बालक
Thanku sir