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3 Jan 2022 10:05 PM
पूरे लेख में भटकाव दिखाई दिया,
एक तरफ महिला की दैनीय स्थिति का बखान.
तो दूसरी और रामायण जैसे चरित्रों का जिक्र.
खुद में विरोधाभास से भरा है.
ग्रंथों में स्त्रियों का दमन है.
क्योंकि लेखक पुरुष है.
स्त्रियों को भोग्या प्रदर्शित करते है. पुरुष प्रधान समाज, स्त्री की उन्नति एवं मानसिक विकास का विरोधी है.
आज प्रथम शिक्षिका माता ज्योतिबाफुले का जन्मदिवस.
अवश्य पढ़ें !
कैसे समाज की बेडियों को तोडा.
धन्यवाद, . बहुत अच्छा लगा , उदारवादी नारी वाद , भक्ति, जिसका बीज प्रेम ,उन आध्यात्मिक नारी वाद के दृष्टिकोण और साधारण स्त्री वर्तमान स्त्री की व्यथा है जो आन्तरिक और बाहरी दोनों रूपों में हैं ये बेडिया ।