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कोमल बिटिया ने पिता के मर्म को बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित शब्दों में व्यक्त किया है! पिता होने के नाते मैं भी यह सब करता रहा हूं किन्तु कभी यह अहसास नहीं कर पाया, शायद इस लिए कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है! इसका आभास कराने के लिए शुक्रिया!

2 Jan 2022 12:46 PM

धन्यवाद
पापा की यह मजबूरी मै ने भी बहुत पास से महसूस की हैं।

अति सुन्दर

2 Jan 2022 10:15 AM

थैंक्यू

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