Comments (4)
2 Jan 2022 10:02 AM
अति सुन्दर
Komal Swami
Author
2 Jan 2022 10:15 AM
थैंक्यू
कोमल बिटिया ने पिता के मर्म को बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित शब्दों में व्यक्त किया है! पिता होने के नाते मैं भी यह सब करता रहा हूं किन्तु कभी यह अहसास नहीं कर पाया, शायद इस लिए कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है! इसका आभास कराने के लिए शुक्रिया!
धन्यवाद
पापा की यह मजबूरी मै ने भी बहुत पास से महसूस की हैं।