शेखर जी, लड़की हूं लड सकती हूं!
पढ़ने पर यह लगा कि कुछ खामी रह गई, अम्बेडकर जी ने संविधान में सभी के लिए वह लिखा जो सबके हित में था, लेकिन यह बात तो वर्तमान में प्रियंका गांधी वाड्रा ने सामने रखी है, और आप इससे किनारा कर के निकलना चाहते हो, थोड़ी ज्यादती है,इसका श्रेय प्रियंका को ही जाता है! भले ही वह भी वोट बैंक के तौर पर इसका इस्तेमाल करने वाली हैं! फिर भी श्रेय उन्हीं को जाता है! हां कविता का भाव अच्छा है तथा प्रासंगिक भी है वर्तमान समय के अनुसार! शुभकामनाएं।
शेखर जी, लड़की हूं लड सकती हूं!
पढ़ने पर यह लगा कि कुछ खामी रह गई, अम्बेडकर जी ने संविधान में सभी के लिए वह लिखा जो सबके हित में था, लेकिन यह बात तो वर्तमान में प्रियंका गांधी वाड्रा ने सामने रखी है, और आप इससे किनारा कर के निकलना चाहते हो, थोड़ी ज्यादती है,इसका श्रेय प्रियंका को ही जाता है! भले ही वह भी वोट बैंक के तौर पर इसका इस्तेमाल करने वाली हैं! फिर भी श्रेय उन्हीं को जाता है! हां कविता का भाव अच्छा है तथा प्रासंगिक भी है वर्तमान समय के अनुसार! शुभकामनाएं।