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गैरों के ग़रेबाँ में झाँकते हैं ,अपने दामन के दाग़ों को छुपाकर , नासेह बन जाते हैं अपनी खुदी से बेखबर , श़ुक्रिया !
बहुत खूब गुरु जी।
गैरों के ग़रेबाँ में झाँकते हैं ,अपने दामन के दाग़ों को छुपाकर , नासेह बन जाते हैं अपनी खुदी से बेखबर ,
श़ुक्रिया !
बहुत खूब गुरु जी।