गोदांबरी जी आपने अपनी लघुकथा में ऐसे तथ्य को प्रकट किया है जिसे जल्दी से कोई स्वीकार कर पाए, वह प्रधान की दरयादिली, गांव का प्रधान या सामाजिक सरोकार से जुड़ा व्यक्ति अक्सर ऐसा करते ही हैं, किन्तु उन्हें इसके लिए मान्य नहीं किया गया अपितु उन्हें अपने ग्रामीणों के हक-हकूकों का शोषण कर्ता ही दर्शाया जाता रहा है!आपके नजरिये को सहर्ष सम्मान करता हूं! साधुवाद सहित।
गोदांबरी जी आपने अपनी लघुकथा में ऐसे तथ्य को प्रकट किया है जिसे जल्दी से कोई स्वीकार कर पाए, वह प्रधान की दरयादिली, गांव का प्रधान या सामाजिक सरोकार से जुड़ा व्यक्ति अक्सर ऐसा करते ही हैं, किन्तु उन्हें इसके लिए मान्य नहीं किया गया अपितु उन्हें अपने ग्रामीणों के हक-हकूकों का शोषण कर्ता ही दर्शाया जाता रहा है!आपके नजरिये को सहर्ष सम्मान करता हूं! साधुवाद सहित।