जीवन एक अनंत यात्रा है , जो सतत जारी रहती है , जिसके मार्ग में बाधाएं एवं कष्ट भी आते हैं , प्रसन्नता एवं सफलता की प्राप्ति भी होती है , असफलता की निराशा का सामना भी करना पड़ता है , आशाएं एवं आकांक्षाएं धूमिल भी होती हैं , इच्छाएं एवं अभिलाषाएं भी तिरोहित होती है , अंतर्वेदना, अवसाद एवं अस्तित्व की रक्षा हेतु संघर्ष के क्षण भी आते हैं , छल प्रपंच एवं दमन के पल भी आते हैं ,
अपेक्षाएं उदासीनता में बदल जाती है, संवेदनहीनता एवं उपेक्षा भी परिलक्षित होती है , फिर भी जीवन यात्रा शनैः शनैः अपने अज्ञात गंतव्य की ओर अग्रसर रहती है। मनुष्य का प्रारब्ध चक्र उसे यह सब भोगने के लिए बाध्य करता रहता है।
जिसे हम नियति के नाम से परिभाषित करते हैं ।
धन्यवाद !
जीवन एक अनंत यात्रा है , जो सतत जारी रहती है , जिसके मार्ग में बाधाएं एवं कष्ट भी आते हैं , प्रसन्नता एवं सफलता की प्राप्ति भी होती है , असफलता की निराशा का सामना भी करना पड़ता है , आशाएं एवं आकांक्षाएं धूमिल भी होती हैं , इच्छाएं एवं अभिलाषाएं भी तिरोहित होती है , अंतर्वेदना, अवसाद एवं अस्तित्व की रक्षा हेतु संघर्ष के क्षण भी आते हैं , छल प्रपंच एवं दमन के पल भी आते हैं ,
अपेक्षाएं उदासीनता में बदल जाती है, संवेदनहीनता एवं उपेक्षा भी परिलक्षित होती है , फिर भी जीवन यात्रा शनैः शनैः अपने अज्ञात गंतव्य की ओर अग्रसर रहती है। मनुष्य का प्रारब्ध चक्र उसे यह सब भोगने के लिए बाध्य करता रहता है।
जिसे हम नियति के नाम से परिभाषित करते हैं ।
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