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कम़बख्त़ इश्क़ ने कुछ को बीमार बना दिया , कुछ को उनकी फ़ितरत ने तलब़’गार बना दिया , कुछ जांबाज़ श़िद्दत से मुश्किलों से लड़े हैं , ज़िम्मेदारी के बोझ से ना टूटे ख़ुद्दारी से खड़े हैं , श़ुक्रिया !
श़ुक्रिया !
धन्यवाद ?
कम़बख्त़ इश्क़ ने कुछ को बीमार बना दिया ,
कुछ को उनकी फ़ितरत ने तलब़’गार बना दिया ,
कुछ जांबाज़ श़िद्दत से मुश्किलों से लड़े हैं ,
ज़िम्मेदारी के बोझ से ना टूटे ख़ुद्दारी से खड़े हैं ,
श़ुक्रिया !
श़ुक्रिया !
धन्यवाद ?