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कैसे छुपाऊं राज़े ग़म , दीदा- ए-तऱ को क्या करूं ,
दिल की तपिश़ को क्या करूं , सोज़े जिगर को क्या करूंं ,
ज़िंदगी से अदावत का इजहार- ए -हाल कैसे बयाँ करूं ,
या अपनी खुदी की बेगुनाही का सबूत किसे पेश करूं ,
तलाश में हूं एक अदद शख़्स की जिसे अपना कह सकूं,
क्यूँ पशेमाँ हूं ;इस कदर , जिसे अपने एहसासात पेश कर सकूं ,
जुस्तजू है के , इस बेचैन सी ज़िंदगी में कुछ तो राहत मिले और कुछ सुकुँ हासिल कर सकूं ,
श़ुक्रिया !

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