? आदरणीय शर्मा जी अति सुंदर और कटु सत्य
विवेक जी जी का आभार।आप पढ़ते रहिये।
जितनी खूबसूरत शैली, उतना ही कटु सत्य को उजागर करता हुआ लेखन…
भिन्न भिन्न भाषा का ज्ञान होना सम्पूर्ण वैश्विक मानव जाति से जुड़ाव, भिन्न भिन्न संस्कृति से जुड़ाव में सहायक है । भाषा सीखना अच्छी बात है क्यों कि वह जोड़ने का काम करती है लेकिन अपनी स्वयं की मातृभाषा की कीमत पर यदि अन्य भाषा का वरण किया जाए तो वह आपको आपकी जड़ से ही विलग कर देती है…जोड़ने के बजाय तोड़ देती है…
मैं किसी को बदल तो नही सकता परन्तु इतना अवश्य कर सकता हूँ कि कोई कितना भी तिरस्कृत करे, हंसी का पात्र समझे, मुझे मेरी मातृभाषा पर सदैव गर्व रहेगा । मैं समस्त भाषाओं का सम्मान करता हूं परन्तु गर्वित महसूस करता हूं अपनी हिंदी पर, अपने हिंदीभाषी होने पर…
उत्तम लेख के लिए आपश्री को बारंबार बधाई…??
नवीन जी का प्रोत्साहन अच्छे लेखन को प्रेरित करता है।
बेहतरीन लेख। यह सच है कि अंग्रेज़ी के प्रति अंधा प्रेम ना केवल हमें भाषा ज्ञान से वंचित रख रहा है, बल्कि अपने साहित्य, रिवाजों से भी काट रहा है। अच्छा हो कि भारतीय जागें, इस से पहले बहुत देर हो जाये।
धन्यवाद कृति।
Nice ???
Thanks Mayank
बहुत खूब