Comments (4)
11 Sep 2021 09:22 AM
गैरों के दिए ज़ख़्म वक्त गुज़रते भर जाते हैं ,
अपनों के दिए ज़ख़्म वक्त गुज़रते गहराते हैं ,
श़ुक्रिया !
विवेक जोशी ”जोश”
Author
11 Sep 2021 10:08 AM
??
बहुत खूब
?? शुक्रिया!!