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चोरी -चोरी , चुपके -चुपके अपनी नजरों से मेरी दिल की बगिया के फूल खिला देते हो , ये तुम्हारी नजर का करिश्म़ा है , या मेरे एहसास – ए -श’ऊर का असर जो मुझमें इक सोज़ जगा देते हो , श़ुक्रिया !
वाह ! बहुत ख़ूब
श़ुक्रिया !
चोरी -चोरी , चुपके -चुपके अपनी नजरों से मेरी दिल की बगिया के फूल खिला देते हो ,
ये तुम्हारी नजर का करिश्म़ा है , या मेरे एहसास – ए -श’ऊर का असर जो मुझमें इक सोज़ जगा देते हो ,
श़ुक्रिया !
वाह ! बहुत ख़ूब
श़ुक्रिया !