Comments (5)
8 Sep 2021 05:44 AM
राहे एहसास में पथराव बहुत हैं मुमकिन ,
शीशा -ए- दिल को झरोखों में सजाया ना करो,
श़ुक्रिया !
Pragya Goel
Author
8 Sep 2021 06:42 PM
वाह लाजवाब आदरणीय
8 Sep 2021 08:53 PM
श़ुक्रिया !
शीशे में देख पत्थर का अक्स इजहार कर ले। वरना तमाम जिंदगी कहने का इंतजार कर ले।।
वाह बहुत ख़ूब श्री मान जी