Comments (4)
6 Sep 2021 07:29 PM
नज़्ज़ारा -ए -जमाल से जन्नत है ज़िंदगी ,
वो रू-ब-रू नही तो क़ियामत है ज़िंदगी ,
हरचंद एक ज़िंदा हकीकत है ज़िंदगी ,
लेकिन बस इक निगाह की क़ीमत है ज़िंदगी ,
श़ुक्रिया !
ओनिका सेतिया 'अनु '
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6 Sep 2021 08:11 PM
धन्यवाद जी
?????बहुत खूबसूरत please मेरी रचनाओं को भी पढ़े और follow करे,
धन्यवाद जी