बेटियां त्याग की मूर्ति होती हैं। पर इन बातों को ज़्यादा नकारात्मक तौर पर भी नहीं लेना है। जिस चीज़ की बहुत बड़ी पहचान होती हैं, जो अनमोल होती है, उनसे ही बड़ी-बड़ी आशाएं और अपेक्षाएं की जाती हैं। बेशकीमती चीजों को अपने कीमती होने का मूल्य कभी-कभी चुकाना पड़ जाता है। और कीमती चीजों को सुरक्षित तो रखा ही जाना चाहिए, इसीलिए उन्हें ज़्यादा कुछ सिखाया जाता है, और जिनसे ज़्यादा अपेक्षाएं होती हैं उनको कभी-कभार सामाजिक विषमताओं का शिकार भी होना पड़ जाता है। पर बेटियों को लोग गुणों की खान के रूप में देखना चाहते हैं, उनका स्वरूप भी बहुत नाज़ुक होता है। साथ ही उन्हें लोग अनेक संस्कारों से लैस करके संस्कृति की वाहक के रूप में आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसीलिए उनके रहन-सहन का स्तर ज़्यादा मानक रूप अख्तियार कर लेता है। और हम सब को तो सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाह करना है, बस…. बहुत ही सुंदर लेखन के साथ बेटियों के जीवन में आनेवाली कठिनाइयों का अति सुंदर चित्रण किया है आपने ! आप धन्यवाद के पात्र हैं !! शुक्रिया !!! ??
बेटियां त्याग की मूर्ति होती हैं। पर इन बातों को ज़्यादा नकारात्मक तौर पर भी नहीं लेना है। जिस चीज़ की बहुत बड़ी पहचान होती हैं, जो अनमोल होती है, उनसे ही बड़ी-बड़ी आशाएं और अपेक्षाएं की जाती हैं। बेशकीमती चीजों को अपने कीमती होने का मूल्य कभी-कभी चुकाना पड़ जाता है। और कीमती चीजों को सुरक्षित तो रखा ही जाना चाहिए, इसीलिए उन्हें ज़्यादा कुछ सिखाया जाता है, और जिनसे ज़्यादा अपेक्षाएं होती हैं उनको कभी-कभार सामाजिक विषमताओं का शिकार भी होना पड़ जाता है। पर बेटियों को लोग गुणों की खान के रूप में देखना चाहते हैं, उनका स्वरूप भी बहुत नाज़ुक होता है। साथ ही उन्हें लोग अनेक संस्कारों से लैस करके संस्कृति की वाहक के रूप में आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसीलिए उनके रहन-सहन का स्तर ज़्यादा मानक रूप अख्तियार कर लेता है। और हम सब को तो सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाह करना है, बस…. बहुत ही सुंदर लेखन के साथ बेटियों के जीवन में आनेवाली कठिनाइयों का अति सुंदर चित्रण किया है आपने ! आप धन्यवाद के पात्र हैं !! शुक्रिया !!! ??