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कोई रुकता नहीं ठहरे हुए राही के लिए , जो भी देखेगा कतरा के निकल जाएगा , ग़र हम वक्त के हमराह चलने न पाएंं , वक्त हमको ठुकरा के गुज़र जाएगा , श़ुक्रिया !
वाह क्या कहने सर
अप्रतिम, अतिशयोक्ति युक्त रचना
कोई रुकता नहीं ठहरे हुए राही के लिए ,
जो भी देखेगा कतरा के निकल जाएगा ,
ग़र हम वक्त के हमराह चलने न पाएंं ,
वक्त हमको ठुकरा के गुज़र जाएगा ,
श़ुक्रिया !
वाह क्या कहने सर