Comments (13)
31 Aug 2021 04:34 PM
Nice and ekdam right
Jyoti Pathak
Author
5 Oct 2021 11:04 AM
Dhanyawad
31 Aug 2021 02:47 PM
सुंदर भाव
31 Aug 2021 02:43 PM
शर्म नज़रों में होती है पर्दो में नहीं… ???
Jyoti Pathak
Author
31 Aug 2021 02:52 PM
Dhanyawad ma’am
जिसको जो लिबास पहनना है , पहनता ही है।
चाहे हिंदुस्तान हो या अफगानिस्तान,
मगर नजरें होती कोई हिंदुस्तानी तो कोई तालिबानी।
हर जगह होती अलग अलग परिणाम।
पूरी दुनिया से ये प्रश्न पूछिए, सिर्फ भारत में ही हर प्रश्न उठता, जहां सबको हर चीज़ की छूट है
बिल्कुल सर, ?? अब समय आ चुका बदलाव का, शिक्षा के प्रसार का ।
बिल्कुल, आपकी कविता बदलाव को आमंत्रित करती है।
लेकिन अपवाद को मुख्य धारा नहीं मान सकते।
भारत विविधताओं का देश है, हर जगह अलग अलग प्रथा है।
इसी देश में कोई एक शादी तो कोई करता चार, कोई गऊ को मारता तो कोई करता उससे प्यार।
कोई अपने बच्चे नहीं पाल पाता कोई, कुता को भी पालता।
यहां हर चीज़ में बदलाव की जरूरत है।
यहां अपना एक संविधान है।
अपना अपना।
लिखते रहिए ,,,
हर दिशा में,
कहीं गांव की लज्जा दिखता तो कहीं गोवा की साज सज्जा दिखता।
ये भारत है, यहां हर चीज़ बिकता ।