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Comments (6)

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26 Aug 2021 10:53 PM

हसीन वहम भी कभी हक़ीक़त बन जाती !
“अर्पिता” इसी उम्मीद में ही आंसू बहा जाती !
कभी हॅंसती और कभी वो मुस्कुरा भी जाती !
पर जीवन के अजब-गजब खेल वो समझ नहीं पाती ! ग़ज़ल रूपी बहुत ही सुंदर है ये प्रस्तुति !!
??

26 Aug 2021 10:54 PM

धन्यवाद Sir…. ???

बहुत ही उत्कृष्ट रचना

26 Aug 2021 06:27 PM

बहुत आभार ??

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