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आपकी लेखनी मुझे अच्छी लगी ! लेकिन क्षमा चाहता हूँ ” दिल के दर्द को हम किसी को दिखा नहीं सकते ! दर्द कोई देख नहीं सकता ,सिर्फ एहसास कर सकता है ! मेरे ख्याल से ” दर्द दिल का दिखा दीजिये ” के स्थान पर उपयुक्त ” बता दीजिए ” होता तो बात ही कुछ और हो जाती ! पुनः क्षमा प्रार्थी ! सस्नेह !

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