Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (6)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
3 Sep 2021 05:16 AM

वाह वाह वाह

4 Sep 2021 11:27 AM

शुक्रिया मैम

17 Aug 2021 07:06 PM

दिल की बातें पढ़ने का हुनर जो सबको आ जाए ! तो दिल की किताबों की तस्वीर ही बदल जाए !
ना हो कोई लड़ाई-झगड़ा, रहे बस प्यार ही प्यार !
दूर होके सबके ग़म, चारों तरफ़ ही खुशियाॅं छा जाए !! मगर ये रचना “ग़ज़ल” में नहीं डालकर “शेर” में डाला होता तो बेहतर होता !!

17 Aug 2021 08:16 PM

कोई बात नहीं “गौरी जी !” तब तो आप
तारीफ़ के पात्र हैं ! मेरी समीक्षा को अन्यथा नहीं लें, बस निरंतर प्रयास करते रहें, बहुत आगे तक जाएंगी आप ! हाॅं रचना की समालोचना आवश्यक है जो किसी को आगे बढ़ाने के लिए होती है, भूल-चूक से हुई किसी खामियों को दूर कर उससे अनुभव दिलाने के लिए !! यूॅं ही प्रयास निरंतर जारी रखें…. शुभकामना…. ??

4 Sep 2021 11:26 AM

बहुत बहुत धन्यवाद महोदय जी

Loading...