बहुत सुंदर भावपूर्ण मुक्तक, उषा जी ! आप बहुत ही गहराई में जाकर, ढूंढ़-ढूंढ़कर हम सब के लिए कुछ-न-कुछ लाने का प्रयास करती हैं, इसीलिए मेरे मन को वो सारी चीज़ें बहुत भाती है। आपकी लेखनी की प्रवाह भी नदिया की धार की तरह कल-कल कर बहती रहे और प्रवाह इतनी तीव्र हो कि अगल-बगल के किनारों को तोड़कर अस्त-व्यस्त कर दे! पर ऐसी अस्त-व्यस्तता सबकी भलाई के लिए हो ! किसी को कोई नुक़सान ना पहुॅंचे ! ऐसी ही शुभकामना है….
जी सहृदय आभार…आपकी दिली शुभकामनाओं और प्रोत्साहन प्रतिक्रिया देकर मेरा हौसला बढ़ाया है…. ईश्वर आपको भी साहित्य सेवा में सदैव अग्रसर रखें ? ? आभार ? जय हिन्द ??????
बहुत सुंदर भावपूर्ण मुक्तक, उषा जी ! आप बहुत ही गहराई में जाकर, ढूंढ़-ढूंढ़कर हम सब के लिए कुछ-न-कुछ लाने का प्रयास करती हैं, इसीलिए मेरे मन को वो सारी चीज़ें बहुत भाती है। आपकी लेखनी की प्रवाह भी नदिया की धार की तरह कल-कल कर बहती रहे और प्रवाह इतनी तीव्र हो कि अगल-बगल के किनारों को तोड़कर अस्त-व्यस्त कर दे! पर ऐसी अस्त-व्यस्तता सबकी भलाई के लिए हो ! किसी को कोई नुक़सान ना पहुॅंचे ! ऐसी ही शुभकामना है….
जी सहृदय आभार…आपकी दिली शुभकामनाओं और प्रोत्साहन प्रतिक्रिया देकर मेरा हौसला बढ़ाया है…. ईश्वर आपको भी साहित्य सेवा में सदैव अग्रसर रखें ? ? आभार ? जय हिन्द ??????
बहुत बहुत धन्यवाद। ? जय हिन्द !?? ??