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Comments (3)

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14 Aug 2021 08:18 PM

बहुत सुंदर भावपूर्ण मुक्तक, उषा जी ! आप बहुत ही गहराई में जाकर, ढूंढ़-ढूंढ़कर हम सब के लिए कुछ-न-कुछ लाने का प्रयास करती हैं, इसीलिए मेरे मन को वो सारी चीज़ें बहुत भाती है। आपकी लेखनी की प्रवाह भी नदिया की धार की तरह कल-कल कर बहती रहे और प्रवाह इतनी तीव्र हो कि अगल-बगल के किनारों को तोड़कर अस्त-व्यस्त कर दे! पर ऐसी अस्त-व्यस्तता सबकी भलाई के लिए हो ! किसी को कोई नुक़सान ना पहुॅंचे ! ऐसी ही शुभकामना है….

15 Aug 2021 11:42 AM

जी सहृदय आभार…आपकी दिली शुभकामनाओं और प्रोत्साहन प्रतिक्रिया देकर मेरा हौसला बढ़ाया है…. ईश्वर आपको भी साहित्य सेवा में सदैव अग्रसर रखें ? ? आभार ? जय हिन्द ??????

15 Aug 2021 12:35 PM

बहुत बहुत धन्यवाद। ? जय हिन्द !?? ??

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