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7 Aug 2021 06:02 AM
किसी को घर से निकलते ही मिल गयी मंजिल, और कोई हमारी तरह उम्र भर सफर में रहा।।
रचना प्रेरित है पर अच्छा है।
किसी को घर से निकलते ही मिल गयी मंजिल, और कोई हमारी तरह उम्र भर सफर में रहा।।
रचना प्रेरित है पर अच्छा है।
उत्तम सृजन,
दो पंक्तियां मेरी ओर से
हम सफर में रहे हमसफर के इंतजार में।
कोई तो होगा हम सा, बड़े से संसार मे।
गलत मैं ही होता था मुझे कर दिया फिर।
ऐ खुदा तू ही बता दे, क्यो हर बार मैं।