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क्या कीजिएगा, आज का युग ही कुछ ऐसा ही है। लोग एक दूसरे की भावनाओं की कद्र अब नहीं कर रहे…. इसी दुनिया में किसी तरह तालमेल बिठाकर जीना मजबूरी है। बहुत सुंदर भाव के साथ खूबसूरत शेर का सृजन आपकी कलम से देखते ही बनती है !
इन प्रेरणादायक पंक्तियों के लिए आपका हृदय की गहराइयों से आभार, श्रीमानजी!
बहुत खूब
धन्यवाद!
क्या कीजिएगा, आज का युग ही कुछ ऐसा ही है। लोग एक दूसरे की भावनाओं की कद्र अब नहीं कर रहे…. इसी दुनिया में किसी तरह तालमेल बिठाकर जीना मजबूरी है। बहुत सुंदर भाव के साथ खूबसूरत शेर का सृजन आपकी कलम से देखते ही बनती है !
इन प्रेरणादायक पंक्तियों के लिए आपका हृदय की गहराइयों से आभार, श्रीमानजी!