मैडम माफ करना,
सावन की बरसात में फूल नही खिलते..
क्योकि बरसात से परागण में व्यवधान होता..
वैज्ञानिक तथ्य है …
जब कली नही तो फूल नही, और फिर तितली,भौरें नही ..
धन्यवाद भाई जी। हमारे यहां तो कलियां भी हैं, तभी फूल भी खिल रहे हैं तितलियों की तो भरमार है। उन सबको देखकर ही इसे लिखा था। फिर भी आपके परामर्श के लिये दिल से आभार।
मैडम माफ करना,
सावन की बरसात में फूल नही खिलते..
क्योकि बरसात से परागण में व्यवधान होता..
वैज्ञानिक तथ्य है …
जब कली नही तो फूल नही, और फिर तितली,भौरें नही ..
प्रणाम
धन्यवाद भाई जी। हमारे यहां तो कलियां भी हैं, तभी फूल भी खिल रहे हैं तितलियों की तो भरमार है। उन सबको देखकर ही इसे लिखा था। फिर भी आपके परामर्श के लिये दिल से आभार।
मैडम जी हम आपकी कविता के प्रेम श्रृंगार का अंदाज समझ गए हैं…
धन्यवाद