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कैसी चली है अबके हवा तेरे शहर में , खौफ के कफ़स में कैद है ज़िंदगी तेरे शहर में , शजर उदास है , चिड़ियों के चहचहे भी गुमसुम , हर शख़्स बेबस बेजार सा लगता है हरदम ,
श़ुक्रिया !
कैसी चली है अबके हवा तेरे शहर में ,
खौफ के कफ़स में कैद है ज़िंदगी तेरे शहर में ,
शजर उदास है , चिड़ियों के चहचहे भी गुमसुम ,
हर शख़्स बेबस बेजार सा लगता है हरदम ,
श़ुक्रिया !