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Comments (6)

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हर वक्त रंग बदलती हैं ज़रूरतें ,
त़ाउम्र खत्म नहीं होतीं हैं ज़रूरतें ,
हास़िल से बढ़कर अज़ीज़ होती है लाहास़िल ज़रूरतें ,
जिंदगी श़िद्दत से जीने मजबूर करती हैं ज़रूरतें है ,
कभी ख्वाहिशों को परवान देतीं हैं ज़रूरते ,
कभी-कभी ईमान को भटका देतींं हैं जरूरतें ,
श़ुक्रिया !

12 Jul 2021 08:23 PM

जी बहुत खूब लिखा आपने।हार्दिक धन्यवाद आदरणीय

12 Jul 2021 04:14 PM

आप पत्रिकाओं में लिखती हैं क्या?
ये कविता मैंने काफी दिनों पहले एक पत्रिका में पढ़ी थी।
मुझे बेहद अच्छी लगी थी।

12 Jul 2021 08:23 PM

जी हाँ लिखती हूँ। किस पत्रिका में आपने पढ़ा था।तारीफ के लिए हार्दिक आभार आपका।

12 Jul 2021 03:17 PM

बहुत सुंदर रचना

12 Jul 2021 08:22 PM

जी हार्दिक धन्यवाद आदरणीय

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