विश्वास, अविश्वास , एवं अंधविश्वास किसी व्यक्ति विशेष की प्रज्ञा शक्ति एवं व्यक्तिगत विश्लेषण क्षमता पर निर्भर करते हैं , जो समस्त पूर्वाग्रहों से स्वतंत्र उसकी तार्किक क्षमता का निर्धारण करते हैं। जो उसमें भीड़ की मानसिकता से परे व्यक्तिगत मानसिकता का निर्माण करती है। जिसके आधार पर वह गलत एवं सही का निर्णय अपने तर्कों की कसौटी पर लेता है।
जहां तक विश्वास के निर्वाह की प्रतिबद्धता का प्रश्न है , यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है जिस पर वह व्यक्ति विशेष अपना विश्वास समर्पित करता है।
निर्वाह की प्रतिबद्धता के लिए सत्य निष्ठा , संकल्पित भाव एवं सच्चरित्र का होना आवश्यक है।
छद्मवेशी चरित्र जिन का मुख्य उद्देश्य विश्वास अर्जित कर व्यक्तिगत स्वार्थों के पूर्ति होता है , जनसाधारण में अविश्वास को उत्पन्न करते हैं।
इस प्रकार के चरित्र अंधविश्वासों के प्रसार एवं प्रचार के माध्यम से अपने व्यक्तिगत हितों की पूर्ति के लिए संलग्न रहते हैं।
अतः भीड़ की मानसिकता से युक्त जनमानस में विश्वास एवं अविश्वास के बीच उहापोह की स्थिति बनी रहती है। जो उसे अंधविश्वास की ओर अग्रसर करती है।
विश्वास, अविश्वास , एवं अंधविश्वास किसी व्यक्ति विशेष की प्रज्ञा शक्ति एवं व्यक्तिगत विश्लेषण क्षमता पर निर्भर करते हैं , जो समस्त पूर्वाग्रहों से स्वतंत्र उसकी तार्किक क्षमता का निर्धारण करते हैं। जो उसमें भीड़ की मानसिकता से परे व्यक्तिगत मानसिकता का निर्माण करती है। जिसके आधार पर वह गलत एवं सही का निर्णय अपने तर्कों की कसौटी पर लेता है।
जहां तक विश्वास के निर्वाह की प्रतिबद्धता का प्रश्न है , यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है जिस पर वह व्यक्ति विशेष अपना विश्वास समर्पित करता है।
निर्वाह की प्रतिबद्धता के लिए सत्य निष्ठा , संकल्पित भाव एवं सच्चरित्र का होना आवश्यक है।
छद्मवेशी चरित्र जिन का मुख्य उद्देश्य विश्वास अर्जित कर व्यक्तिगत स्वार्थों के पूर्ति होता है , जनसाधारण में अविश्वास को उत्पन्न करते हैं।
इस प्रकार के चरित्र अंधविश्वासों के प्रसार एवं प्रचार के माध्यम से अपने व्यक्तिगत हितों की पूर्ति के लिए संलग्न रहते हैं।
अतः भीड़ की मानसिकता से युक्त जनमानस में विश्वास एवं अविश्वास के बीच उहापोह की स्थिति बनी रहती है। जो उसे अंधविश्वास की ओर अग्रसर करती है।
धन्यवाद !