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दर्द बढ़कर फ़ुग़ाँ न हो जाये ,
ये जमीं आसमाँ न हो जाये,
दिल में डूबा हुआ जो नश्तर है ,
मेरे दिल की जुबाँ न हो जाये ,
दिल को ले लीजिये जो लेना है,
फिर ये सौदा गराँ न हो जाये ,
आह कीजे मगर लतीफ़-तरीन ,
लब तक आकर धुआँ न हो जाये ,

श़ुक्रिया !

धन्यवाद जी

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