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वाहह सिद्धांत जी, मैं भी इस रचना को पढ़ते-पढ़ते इसी में डूबता जा रहा हूॅं । भावनाओं के समंदर में डूबकर सृजन की गई रचना ! ग़ज़ब ! शानदार प्रस्तुति !!
धन्यवाद सर जी ?
वाहह सिद्धांत जी, मैं भी इस रचना को पढ़ते-पढ़ते इसी में डूबता जा रहा हूॅं । भावनाओं के समंदर में डूबकर सृजन की गई रचना ! ग़ज़ब ! शानदार प्रस्तुति !!
धन्यवाद सर जी ?