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भाई कुलदीप जी प्रणाम ??बहुत समय बाद आए,”जिंदगी के सफ़र में” जो सपने टूटे उन्हें फिर सजाएंगे ।धन्यवाद
सादर प्रणाम भाइसाहब !
जिंदगी के सफर में खो गए थे इसलिए थोड़ा दूर हो गए थे जरूर सजायेंगे हर टूटे सपने होंगे गर आपके जैसे अपने।
सादर धन्यवाद!
भाई कुलदीप जी प्रणाम ??बहुत समय बाद आए,”जिंदगी के सफ़र में”
जो सपने टूटे उन्हें फिर सजाएंगे ।धन्यवाद
सादर प्रणाम भाइसाहब !
जिंदगी के सफर में खो गए थे
इसलिए थोड़ा दूर हो गए थे
जरूर सजायेंगे हर टूटे सपने
होंगे गर आपके जैसे अपने।
सादर धन्यवाद!