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अंतर्व्यथा की भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
” कहां उस सन्नाटे को उभार पाते हैं “
” अंतहीन कंथाओं का विवरण कहां निथार पाते हैं ” भाव स्पष्ट नही हैं। कृपया विवेचना करें !

धन्यवाद !

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