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अत्यन्त उत्तम सृजन रेखा जी नमन

सरापा आरजू बन कर , तसव्वुर आशना होकर,
रहेंगे हम उन्हीं के रू -ब -रू , उनसे जुदा होकर ,
ठहरने ही नहीं देता मज़ाके- जुस्तजू मुझ को ,
गुज़र जाता हूं हर मंज़िल से , मंज़िल- आशना होकर ,
रहे इश्क़ो -वफ़ा में , इख़्तिलाफे-शौक क्या मानी ,
पहुंच जाएगी इक मर्कज़ पे , दुनिया जा -ब-जा होकर ,

श़ुक्रिया !

2 Jun 2021 10:56 PM

बहुत ख़ूब

अति सुन्दर

2 Jun 2021 10:56 PM

जी शुक्रिया

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