Comments (4)
28 May 2021 06:35 PM
कटु यथार्थ की संदेशपूर्ण प्रस्तुति !
धन्यवाद !
अंजनीत निज्जर
Author
28 May 2021 08:39 PM
Thanks
पहले भी इस रचना को पढ़ा..लेकिन शायद मैं गंभीरता से नहीं पढ़ा था. अब जब दुबारा पढ़ रहा हूं तो रचना को तो मैं बेहद ही शानदार पाता हूं. आप वास्तव में पूरी तरह से सुलझी हुई हैं और आप न केवल किसी देश, लिंग, जाति, धर्म बल्कि समूची मानवता को केंद्र में रखती हैं अपनी रचनाओं को लिखते वक्त..सादर नमन..
Thanks, इतना साथ देने के लिए