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20 May 2021 11:08 AM
मेरे दिल के टुकड़े ना जोड़िए ,
मेरी खामोशी को न तोड़िए ,
यही आईना तो है काम का ,
जो टूट कर भी सदा न दें ,
ना वो बात कर मेरे हमनवा ,
जो ग़मे इश्क़ में मज़ा ना दे।
श़ुक्रिया !
मेरे दिल के टुकड़े ना जोड़िए ,
मेरी खामोशी को न तोड़िए ,
यही आईना तो है काम का ,
जो टूट कर भी सदा न दें ,
ना वो बात कर मेरे हमनवा ,
जो ग़मे इश्क़ में मज़ा ना दे।
श़ुक्रिया !
सुंदर रचना