कोरोना महामारी से असमय काल कलवित् हुए प्रियजनों पर व्यंग करना , काव्य अभिव्यक्ति की संवेदनहीनता प्रकट करता है। जो एक संवेदनशील निष्पक्ष कवि से अपेक्षित नहीं है।
वर्तमान त्रासदी के समय में इस प्रकार व्यंगात्मक प्रस्तुति उपयुक्त नहीं है।
यह मेरे बिना किसी पूर्वाग्रह के स्वतंत्र विचार है।
धन्यवाद !
कोरोना महामारी से असमय काल कलवित् हुए प्रियजनों पर व्यंग करना , काव्य अभिव्यक्ति की संवेदनहीनता प्रकट करता है। जो एक संवेदनशील निष्पक्ष कवि से अपेक्षित नहीं है।
वर्तमान त्रासदी के समय में इस प्रकार व्यंगात्मक प्रस्तुति उपयुक्त नहीं है।
यह मेरे बिना किसी पूर्वाग्रह के स्वतंत्र विचार है।
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रचना की कोशिश महामारी के कारणों, प्रभाव व सामाजिक आडंबरों को दर्पित करना है। स्वतंत्र भावाभिव्यक्ति के लिए आपको प्रणाम।