अछि पंक्तियाँ लिखी है अगर आप इसमें ए जिंदिगी की पुनरावर्तन को कम कर दें तो शायद और भी अच्छी हो।
ज्यादातर कविताएं ऐसे ही सुख और उत्साह की अनुभूति के साथ लिखी जाती है ,किन्तु यह यथार्थ बहुत कम होता, यह एक कल्पना होती है स्वयं को समाज में बडा दिखाने की।
इसलिए परम्पराओं के ऊपर ना चलकर अपनी मानस स्थिति को लिखने का प्रयास करो, अगर वो समाज की परम्पराओं के खिलाफ है या अश्लील है या भद्दी है फिर भी वही लिखो क्योकि वही हमारे मन स्थिति का यथार्थ है ।
अछि पंक्तियाँ लिखी है अगर आप इसमें ए जिंदिगी की पुनरावर्तन को कम कर दें तो शायद और भी अच्छी हो।
ज्यादातर कविताएं ऐसे ही सुख और उत्साह की अनुभूति के साथ लिखी जाती है ,किन्तु यह यथार्थ बहुत कम होता, यह एक कल्पना होती है स्वयं को समाज में बडा दिखाने की।
इसलिए परम्पराओं के ऊपर ना चलकर अपनी मानस स्थिति को लिखने का प्रयास करो, अगर वो समाज की परम्पराओं के खिलाफ है या अश्लील है या भद्दी है फिर भी वही लिखो क्योकि वही हमारे मन स्थिति का यथार्थ है ।
धन्यवाद सर!
बहुत- बहुत धन्यवाद सर समझाने के लिए मै अगली कविता मे इन चीजों का ध्यान रखूँगा 🙏