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4 May 2021 06:53 PM

बहुत कड़वा सच है, लेकिन हमारे मतदाता भाई भी तो इस ओर आंख मूंद कर भरोसा कर रहे हैं, जबकि सबको पता है जुमले बाजी का, फिर भी उसके झांसे में आ ही रहे हैं!बडी हिम्मत दिखा रहे हैं आपकी हिम्मत को सलाम!

मेरे उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद सर ।
किन्तु आपके कथन “बडी हिम्मत दिखा रहे हैं आपकी हिम्मत को सलाम! ” से ही सर्वविदित हो रहा है कि आम आदमी कितना डरा हुआ है, विचारक कितने डरे हुए है कि वो उसी डर से अपने विचारों को स्प्ष्ट रूप ने नही कह पा रहे हैं ।
अब आप ही बताओ कि लोकतंत्र कहाँ रहा, जिसमे आम आदमी खुल कर बोल भी नही सकता।

नफरत को कोई सीमा नही होती, जब शत्रु एक होता है तब सब मिलकर उससे नफरत करते है और जब उस पर विजय प्राप्त कर लेते है तो फिर आपस मे एक दूसरे से नफरत करते है । इसलिए नफरत चाहे धार्मिक हो जातिगत हो या फिर आर्थिक सब विनाश ही करती है ,और अनंत विनाश।

3 May 2021 06:59 PM

जबरदस्त ।
एक दम सटीक और खरी खोटी , जो एक साहित्यकार की असली पहचान है ।
बिना किसी डर और बिना किसी तरफ झुकाब के सभी तथ्यों का सही मूल्यांकन ।

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