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27 Apr 2021 04:23 PM

रस्तोगी जी, यह बात अब पुरानी हो गई है जब कोरोना चायना से आया था, अब तो यह विभिन्न देशों से अलग अलग प्रकृति, प्रवृत्ति और रंग ढंग के साथ आया है जिसने हमारी युवा पीढ़ी को ज्यादा तंग करने का काम किया है, अब चाय ना का आई ना नहीं कह सकते, अपितु अब हम इसे अपनी विफलता के रूप में स्वीकारें और इस बला से कैसे निजात मिल सकती है उस पर काम करें! सादर अभिवादन के साथ, शुभकामनाएं!

27 Apr 2021 01:24 PM

कृपया अपने कॉमेंट्स देने की कृपा करें

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