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चँंद्र किरण प्रकाश में करो ना प्रयत्न खोजने भाग्य रेखाए्ँ।
जागो नवप्रभात यथार्थ रवि आगम प्रकाश पुँन्जौं में खोजो नई दिशाएंँ।
भंग करो तँद्रा तिमिर को नष्ट करो स्वप्निल आशाओं के प्रतिरूप ।
जागृत करो चेतन मनस को कर साकार विचार अभिलाषाओं के अनुरूप ।
करो प्रथम प्रयास सिद्ध स्वयं को
करो नष्ट व्याप्त सर्वांग अहम को ।
अनल बनो।
करो दग्ध यह अनाचार ।
कमल बनो निर्मल रहो रहित मलिन विचार ।
रहो सतत् जनहित मे बनो प्रेरणा शक्ति।
रचो नव नित् आयामों को सृजन करो नवसृष्टी।

धन्यवाद !

आपका आभार श्याम जी

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